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हिंदी विभाग 

          भाषा केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं है। वह समाज, संस्कृति, सभ्यता, समृद्धि का प्रतीक होती है। इस दृष्टि से हिंदी भारत की एकता, अखंडता और विविधता का प्रतीक है। हिंदी जनमानस की भाषा है। भारतीय संविधान ने उसे राजभाषा के रूप में अपनाया है। स्वातंत्रोत्तर युग में उच्च शिक्षा को बढ़ावा दिया गया। शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर से संलग्न महावीर महाविद्यालय, कोल्हापुर की स्थापना 1970 में हुई। इसी साल महाविद्यालय के हिन्दी विभाग की भी स्थापना हुई। अपनी स्थापना से लेकर आज तक यह विभाग अपनी शैक्षिक एवं सामाजिक गतिविधियों के लिए सक्रीय योगदान देता आया है। शिक्षा के द्वारा चरित्रवान और विवेकशील समाज का निर्माण संस्था और विभाग का लक्ष्य है। हमारी संस्था का ब्रीदवाक्य है- ‘शीलं परं भूषणम’। विभाग अपने पाठ्यक्रम और गतिविधियों के द्वारा छात्रों में मानवीय, सामाजिक, नैतिक, आध्यात्मिक, सौदर्यात्मक मूल्यों को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही छात्रों में नयी सदी के में जीवनयापन करने के लिए आवश्यक व्यवसायिक क्षमताओं को भी विकसित करने के लिए प्रयासरत है। इस दृष्टि से अहिंदी भाषी क्षेत्र के छात्रों में हिंदी भाषा में अभिव्यक्ति की क्षमता को विकसित करने का कार्य निरंतर है। भाषा के प्रयोजनमूलक रूप को स्पष्ट करते हुए रोजगार के अवसरों से उन्हें परिचित किया जाता है। साहित्य की समझ बढ़ाना, समीक्षा की दृष्टि विकसित करना साथ ही लेखन के हेतु प्रेरित करना भी विभाग का उद्देश्य रहा है। इस दृष्टि से विभाग में हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया है जिसमें प्रभाकर माचवे, देवेश ठाकुर, मैत्रेयी पुष्पा, गोविन्द मिश्र, मंगलेश डबराल, कथाकार संजीव, शिवमूर्ति, रामजी तिवारी आदि विशेष हैं। विभाग में अनुवाद पदविका पाठ्यक्रम चलाया जाता है।         

हिंदी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. बी. बी. पाटिल, प्राचार्य डॉ. सुनीलकुमार लवटे, डॉ. शशिप्रभा जैन, डॉ. उत्तरा कुलकर्णी जी ने अपने कार्य से विभाग को समृद्ध बनाया है। प्राचार्य डॉ. सुनीलकुमार लवटे जी मराठी- हिंदी साहित्य के लेखक, समीक्षक, अनुवादक, संपादक के साथ ही समाजसेवी के रूप में ख्यातकिर्त हैं। उनके साहित्यिक- सामाजिक क्षेत्र के योगदान के हेतु उन्हें महाराष्ट्र और केंद्रीय सरकार के द्वारा कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। वर्तमान में हिंदी विभाग प्रमुख के रूप में डॉ. राजेंद्र रोटे जी कार्यरत हैं। डॉ. प्रकाश काम्बले, प्रा. रविदास पाडवी, डॉ. सुषमा मांडे- चौगले, प्रा. जानकी देसाई सेवारत हैं।

विभाग ने अब तक कई राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों एवं कार्यशालाओं का सफल आयोजन किया है। छात्रों के लिए अभ्यास भेंट का आयोजन कर उन्हें अपने क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों (साहित्यकार, समीक्षक) संस्थाओं से रूबरू कराया जाता है। छात्रों को केन्द्रीय हिंदी निदेशालय की नवलेखक शिविर और छात्र अध्ययन यात्रा जैसी योजनाओं में हिस्सा लेने हेतु मार्गदर्शन के साथ प्रेरित किया जाता है। हिंदी विभाग के पूर्व छात्र महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देशभर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कई छात्र किसानी, उद्यमी, नौकरी, राजनीति, समाजसेवा के द्वारा अपने समाज और देश की सेवा में कार्यरत है।


 


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